मंत्र
निसुनीह रोई बद कर मेघ गरजहि निसु। न दीपक हलुथर
फुफनिबेरि फूनि डमरू न बजे निसुनहि कलह निम्न फटु काच मई ।।
इस मंत्र को होली के दिन रात्रि में पवित्र होकर शुद्ध आसन पर बैठकर 2100 बार जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है। तत्पश्चात इस मंत्र को 21 बार पढ़कर रोगी के माथे पर फूंक मारने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। इसे ग्रहण के दिन नहा-धोकर पवित्र आसन पर बैठकर 2100 बार जाप करने से यह सिद्ध हो जाता है । मंत्र सिद्ध होने के बाद शिरः शूल से पीड़ित व्यक्ति को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठा दें। फिर उसके माथे पर अपने हाथ को फेरते हुए मंत्र का उच्चारण करते
मंत्र निम्न है-
लंका में बैठ के माथ हिलावे हनुमन्त।
सो देखिके बैठी सीता देखि हनुमान को
आनन्द भई मन में।। गई उर विवाद
अमुक’ के सिर अमुक’ के नहीं कुछ पीर
नहीं भार। आदेश कामाख्या हरिदासी
चण्डी की दोहाई ।।
आधसीसी नाश मंत्र
वन में व्याई अंजनी, बच्चे वन फल खाए होक मारी हनुमन्त ने, इस पिण्ड से आधासीसी उतर जाय ।।
मंत्र
ओम नमो वन में बसी,
बानी उछल पेड़ पर जाय।
कूद कूद डालन पर फल खाय,
आधी तोड़े फोड़े आधासीसी जाय ।।
उपरोक्त मंत्र को पढ़ते हुए पृथ्वी पर सीधी रेखा खेंचकर उसे सात जगह से काटें। इस प्रकार यह सीधी रेखा खींचना व सात बार काटना, सात बार रोगी के माथे पर हाथ फेरना चाहिए।
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु का,
कली चली करबर ठेली
चेली बीसा हनुमानजी की,
हाक वागे अर्धसीसी नासे
गुरु की शक्ति मेरी भक्ति,
चलो मंत्र ईश्वरी वाचा।
मेरे गुरु का वचन सांचा।।
इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद इस मंत्र से भस्म को अभिमंत्रित कर ललाट पर मलने से अधकपारी रोग दूर होता है। यह मंत्र 1108 बार जाप करने से सिद्ध हो जाता है। इस मंत्र को सिद्ध कर लेने के पश्चात रोगी को सामने बैठाकर मंत्र पढ़ते हुए प्रत्येक मंत्र के बाद एक फूंक अर्थात 21 बार मंत्र पढ़कर रोगी के माथे पर 21 बार फूंक मारनी चाहिए। तथा सेंधा नमक को पानी में घिसकर माथे पर लगाना चाहिए। आधासीसी दूर हो जाती है।
मंत्र
ॐ नमः आधासीसी तारी हुं हुं हुंकारी।
दुबहरी प्राचीनों आंखिया मूंद भुख पारल डारी।।
अमुक’ के पीर रहै तो दुहाई गौरी की।
आदेश फुरी ॐ ठ ठ स्वाहा ।।
शीश वेदना निग्रह मंत्र
हजार घर वाले एक घर खय
आगे चलें तो पीछे जाय ।
फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।।
दस मंत्र को पहले 1008 बार जपकर सिद्ध कर लेना चाहिए। फिर सिरट से पीड़ित व्यक्ति के माथे पर अपना हाथ फेरते हुए सात बार मंत्र पढ़कर उत ही फूंक मारने से दर्द नष्ट होता है।
मंत्र
सातो रीदा सातों भाई, मिलके आंख बराई।
दुहाई सातो देव की इन आंखिन पीड़ा करै तो ।।
धोबी के नाद चमार के चुल्है पड़े मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।
यह मंत्र होली की रात्रि से 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार जाप करने सिद्ध होता है तथा बाद में रोगी की आंख पर केवल 21 बार मंत्र पढ़कर
मारने से कष्ट दूर हो जाता है।
मंत्र
ॐ नमो झल मल जहर नली तलाई।
अस्तांचल पर्वत से आई ।।
जहां जा बैठा हनुमान जाई।
फूटे न पाके न पीड़ा ।।
यती हनुमान की डोहाई ।।
जा बैठा हनुमान जाई। हनुमन्त की दोहाई । ।
इसे नीम की हरी पत्ती वाली डाली से सात बार मंत्र पढ़कर झारने से ने नेत्र रोग दूर होता है।
मंत्र
ॐ नमो श्रीराम की धनी का लक्ष्मण बाण
आंख दर्द करे तो लक्ष्मण कुंवर की आन।
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति वाचा
फुरो मंत्र ईश्वर वाचा
सत् नाम आदेश गुरु का
यह मंत्र दशहरा की रात्रि में 108 बार जाप करने से सिद्ध हो जाता है तथा लोहे का एक छोटा-सा तीर भी बनाकर मंत्र से अभिमंत्रित कर रखते हैं। आवश्यकता पड़ने पर तीर को आँख पर फेरते हुए 144 बार पढ़-पढ़कर फूंक मारने से नेत्र पीड़ा शांत होती है। यह मंत्र दशहरा की रात्रि में 108 बार जाप करने से सिद्ध हो जाता है तथा लोह का एक छोटा-सा तीर भी बनाकर मंत्र से अभिमंत्रित कर रखते हैं। आवश्यकता पड़ने पर तीर को आंख पर फेरते हुए 144 बार पढ़-पढ़कर फूंक मारने से नेत्र पीड़ा शांत होती है।
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरो
सत्य नाम श्रीराम को
काटें रतौंधी जाएं रतोंधी
ईश्वर महादेव की दुहाई-दुहाई
गुरु गोरखनाथ की दुहाई
कालका माई रतोंधी जाए
फिर न आए आन महावीर की ।।
दशहरा की रात्रि में इस मंत्र को 1008 बार जपकर सिद्ध कर लिया जाता
फिर इस मंत्र से सात दिन तक प्रतिदिन ग्यारह बार झाड़ने से रतौंधी दूर हो
जाती है।
मंत्र
ॐ केशवं पुण्डरीकाक्षमनि शम् हि तथा जपेतु ॐ गं गणपतये नमः ।
का पाठ करना चाहिए।
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