गर्भधारण के पश्चात गर्भ न गिरे इसके लिए अविवाहित कन्या द्वारा काते गए। सूत को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके तावीज बनाकर स्त्री के गले में बांधने से गर्भ नष्ट नहीं होता।
ॐ नमो गंगा उकारे गोरख बहा घोर घी।
पार गोरख बेटा जाय
जयद्बुत पुत ईश्वर की माया, दुहाई शिवजी की। ।
फिर गर्भधारण जितना आवश्यक है उतना ही उसकी रक्षा करना भी आवश्यक हाताहसके लिए रविवार के दिन स्त्री को बैठाकर गुग्गल की धूनी देते हुए निम्न को 108 बार जप करने से गर्भ पर कोई कुप्रभाव नहीं होता।
मंत्र
ॐ रुद्रामी द्रव हो हा हा ह ओ का।
यह मंत्र दशहरा या दीपावली पर एक लाख बार जप करने से सिद्ध हो जाता है। रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में उखाड़कर लाए गए काले धतूरे की जड़ को मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके उस गर्भिणी स्त्री की कमर में बांधने से गर्भ स्तंभन होता है।
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