यह निम्न मंत्र 108 बार जाप करने से सिद्ध हो जाता है । फिर अविवाहित कन्या के हाथ का काता हुआ सूत लेकर उस सूत के 101 धागे को एक साथ लेकर मंत्र से 11 बार अभिमंत्रित करके रोगी की कमर में बांधने से कमर की पीड़ा दूर होती है।

मंत्र

चलता आवे उछलता जाय।
मस्य करता उह जाय।।
सिद्ध गुरु की आन मंत्र सांचा।
फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।।

पक्षाघात रोगी के लिए

सोंठ, हरें, तुलसी काष्ट व रास्ना सब समभाग लेकर अच्छी तरह से इमामदस्ते में कूट-छानकर महीन पाउडर तैयार कर लें। चार-चार घंटे के अंतर से इस पाउडर को रोगी के व्याधिग्रस्त भाग पर मलते हैं तथा सवेरे-शाम रेशमी वस्त्र से सहलाते हैं। दिन में 1-2 केले भी खाने को देते हैं। साथ ही व्याधिग्रस्त, भाग की तरफ ही रोगी को लिटाते हैं। यह पाउडर कमर में बांधने से कमर की पीड़ा दूर होती है।

मंत्र

चलता आवे उछलता जाय ।
मस्य करता उ ह जाय ।।
सिद्ध गुरु की आन मंत्र सांचा।
फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।।

तंत्र एक गोपनीय विज्ञान है। यह निश्चय ही लाभकारी है। इसी पावन उद्देश्य को लेकर आप साधना मार्ग की ओर धीरे-धीरे अग्रसर
है ।

Call for Free Consultation +91-8448976749

Realtime Website Traffic